आकाश मे संध्या समय पूर्व दिशा मे तथा प्रात:काल पश्चिम दिशा मे, वर्षा के पश्चात् लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला, तथा बैंगनी वर्णक एक विशालकाय वृत्ताकार वक्र कख्नु-कख्नु दिखाई देएत अछी। ई इंद्रधनुष कहलावै अछी। वर्षा अथवा बादल मे पानी क सूक्ष्म बूँदसभ अथवा कण पर पडै वाला सूर्य किरणसभ क विक्षेपण (डिस्पर्शन) ही इंद्रधनुष के सुंदर रंगसभ क कारण छी। सूर्य क किरणसभ वर्षा क बूँदसभ से अपवर्तित तथा परावर्तित होए के कारण इन्द्रधनुष बनैत अछी। इंद्रधनुष सदा दर्शक क पीठ के पाछा सूर्य होए पर ही दिखाई पडैत अछी। पानी के फुहारे पर दर्शक के पाछा से सूर्य किरणसभ के पडै पर सेहो इंद्रधनुष देखल जा सकैत अछी।

अर्धवृत्ताकार दोहरा-इन्द्रधनुष


द्वितीयक इंद्रधनुष

सम्पादन करी
 
इंद्रधनुष क उद्गम

एहो सभ देखी

सम्पादन करी