आकृति:मुख्य चित्र/२०१८-०२-१७
शनि शत्रु नै मित्र छी ! सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय: । मंदचार प्रसन्नात्मा पीडां हरंतु मे शनि !! ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम...
फोटोग्राफर/श्रोतः Shani dev Maharaj , तिथि: १३ नोभेम्बर २०१४
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